गोकुलदास अस्पताल का लाइसेंस अस्थायी रूप से रद्द

इंदौर के गोकुलदास अस्पताल से मरीजो के परिजनों के एक वीडियो के वायरल होने के बाद गुरुवार शाम को हंगामा खड़ा हो गया। मामला सामने आने के बाद अब हर निजी अस्पताल पर नकेल कसने की आवश्यकता इंदौर में प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि कोरोना संकट काल मे बेतरतीव मनमानियां इलाज के नाम पर चल रही है। बिल बढ़ाने और ग्रीन जोन कैटेगरी में जाने की जल्दबाजी के चक्कर मे कोरोना निगेटिव मरीजो की मौत ने गोकुलदास अस्पताल की व्यवस्थाओ की पोल खोल दी है। दरअसल, कोविड – 19 का डर दिखाकर लोगो को बेवजह अस्पताल में रोकने का आरोप निजी अस्पतालों पर बीते कई दिनों से लग रहे है।कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए और इसके बाद आनन फानन में इंदौर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.प्रवीण जाड़िया, डॉ. माधव हसानी, एम.वाय. अधीक्षक डॉ.पी.एस. ठाकुर और डॉ. सलिल भार्गव और उनकी टीम अस्पताल में जांच के लिए पहुंची। अनियमितता की जांच के पहले गोकुलदास प्रबंधन से जुड़े एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. संजय गोकुलदास सहित अन्य लोगो को कई दफा प्रशासन ने फोन लगाए गए लेकिन किसी ने भी फोन नही उठाया। जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरुवार रात को ही पूरे दिन के दस्तावेज देखे और सभी दस्तावेजो को जब्त कर सील कर दिया गया।